300+ Short Stories In Hindi with Moral for Kids In 2024

बच्चों के लिए छोटे कहानियाँ न केवल मनोरंजन प्रदान करती हैं, बल्कि उन्हें जीवन के मूल्यों और सिख सिखाती हैं। यह कहानियाँ छोटी छोटी होती हैं, लेकिन उनमें छिपी शिक्षाएँ अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं।

हिंदी में 300 से अधिक Short Stories In Hindi with Moral for Kids का संग्रह हमें बच्चों को जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सोचने और उनके समझ में सहायता करने का अवसर प्रदान करता है।

Short Stories In Hindi with Moral for Kids

इन कहानियों में बच्चों को नैतिकता, समझदारी, साझेदारी, धैर्य, मेहनत, और विवेक के महत्व को समझाने का प्रयास किया गया है।

हर कहानी के अंत में एक महत्वपूर्ण संदेश होता है जो बच्चों को अपने जीवन में मार्गदर्शन प्रदान करता है। इस संग्रह में विविध विषयों पर अनेक प्रकार की कहानियों का समावेश है, जो बच्चों के मनोबल को बढ़ाने के साथ-साथ उनकी नैतिक और सामाजिक उन्नति में भी सहायक होते हैं।

Short Stories in Hindi with Moral for Kids

1. और खोए हुए बच्चे:

एक बार एक जंगल में एक बुद्धिमान उल्लू था। उसके पास अपने अंधे आदमी की तरह बहुत अच्छी बुद्धि थी। एक दिन वह उड़ान पर निकला और जंगल में घूमता फिरता रहा। अचानक उसने एक छोटे से बच्चे को एक पेड़ के नीचे रोते हुए देखा।

उल्लू ने वहाँ जाकर पूछा, “बच्चे, तुम्हें क्या हुआ? क्यों रो रहे हो?”

बच्चा गम्भीरता से बोला, “मेरी मां खो गई है। मुझे उसे ढूंढ़ने में मदद करो।”

उल्लू ने बच्चे की मदद करने का वचन दिया और उसके साथ बच्चे की मां की खोज में निकल पड़ा। उन्होंने बच्चे के साथ बहुत दूर तक चल कर उसकी मां को ढूंढ़ा। धीरे-धीरे उन्होंने उसकी मां को पाया और बच्चे को उसकी देखभाल में सौंप दिया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें जीवन में अपने चाहने वालों की सहायता करनी चाहिए। जब हम किसी की मदद करते हैं, तो हमें खुद भी बड़ी खुशी मिलती है। इससे हमारा जीवन उत्तम बनता है और हम अच्छे इंसान बनते हैं।

मोरल: आवश्यकता होने पर सहायता मांगना बुद्धिमानी की निशानी है।

2. बिल्ली और चूहे: 

एक बिल्ली और चूहों की कहानी हमें एक महत्वपूर्ण सिख देती है। बिल्ली ने अपने चालों और चालाकियों के साथ चूहों को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन हर बार उसे सफलता नहीं मिली। दूसरी ओर, चूहे जो एकजुट होकर काम करते थे, उन्होंने बिल्ली को हमेशा हराया और विजय प्राप्त की।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि विजय प्राप्त करने के लिए समृद्धि की आवश्यकता होती है, और एक साथ मिलकर काम करने से हमेशा सफलता मिलती है। यह हमें यह भी याद दिलाती है कि आत्मसमर्थन और सम्मान के साथ साथ अन्यों की मदद करना भी अहम होता है। 

एक भीड़ में, एक साथ अधिक ताकत होती है और लक्ष्य को प्राप्त करने की संभावनाएं बढ़ती हैं। इसलिए, हमें यह सिख मिलता है कि सामूहिकता और सहयोग हमेशा सफलता की कुंजी होते हैं।

मोरल: एकता में बल है।

3. गौरैया और बहुरूपी: 

यह कहानी गौरैया और चालाक कौवे के बीच की है। गौरैया एक गोलाबारी के ऊपर बैठी हुई थी और अपने सुंदर संगीत से सभी को प्रसन्न कर रही थी। चालाक कौवा ने उसे पानी के खिलौने से बाहर निकाला और उसे दिखाकर कहा कि उसका उत्साह गौरैया की सुंदरता को देखने के लिए बहुत अधिक है। गौरैया ने इस प्रशंसा के कारण अपने आपको बेहद महत्वपूर्ण महसूस किया और उसने प्यासे कौवे के सामने अपनी सुंदरता को दिखाने के लिए पानी के बाल्टी में कूद दिया। कौवा ने इस अवसर का लाभ उठाया और पानी पीने का मजा लिया।

इस कहानी का सार है कि हमें सजग रहना चाहिए और प्रशंसा को समझना चाहिए। कभी-कभी हम प्रशंसा में इतने अधिक डूब जाते हैं कि हमें अपनी असलीता खोने का खतरा होता है। इसलिए, हमें हमेशा सावधान रहना चाहिए और सच्चाई को नकारने वाली प्रशंसाओं से बचना चाहिए।

मोरल: प्रशंसा से सावधान रहें।

4. शिक्षा का महत्व: 

एक गरीब लड़का जिसे पढ़ाई की कोई सुविधा नहीं थी, उसने अपने आप को पढ़ाने के लिए बड़े ही संघर्ष और मेहनत से लड़ा। उसने अपनी कमाई से एक पुरानी किताब खरीदने का निर्णय किया। धीरे-धीरे, वह उस किताब से पढ़ने लगा और ज्ञान की खोज में उत्साहित होता गया।

उस लड़के ने मेहनत, लगन और समर्पण से अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए नहीं हारा। वह हमेशा सीखने के लिए उत्सुक रहा और अपनी जिम्मेदारियों का पालन किया। उसकी मेहनत, उन्नति और सफलता के माध्यम बन गई।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि शिक्षा का महत्व अव्याख्यात होता है। यह एक ऐसी शक्ति है जो हमें न केवल ज्ञान के साथ सजग रखती है, बल्कि हमें समाज में सफलता की दिशा में भी आगे बढ़ने का मार्ग दिखाती है। शिक्षा ही एक ऐसा साधन है जो हर किसी को एक उच्च और सम्मानित स्थान तक पहुंचाता है।

मोरल: शिक्षा का महत्व अव्याख्यात है।

5. भूखा कुत्ता: 

एक बार की बात है, एक कुत्ता जंगल में भूखा घूम रहा था। फिर अचानक उसने एक बड़ा टुकड़ा मांस पाया। कुत्ता बहुत खुश हुआ और सोचा कि इसे अपने घर ले जाकर खा लूंगा।

रास्ते में जाते हुए, उसने पानी की झील में अपना प्रतिबिंब देखा। वहां उसने एक और कुत्ता देखा जो भी बड़ा टुकड़ा मांस ले कर गया था। इस पर कुत्ता ने सोचा कि यह कुत्ता उससे ज्यादा अमीर है, इसलिए उसने अपना टुकड़ा छोड़ दिया और उसी का पीछा करने लगा।

परिणामस्वरूप, जब वह दूसरे कुत्ते के पास पहुँचा, तो उसने देखा कि वह अगरीब ही था। उसके पास कोई टुकड़ा नहीं था। कुत्ता हार गया और खुद को बहुत पछताया कि उसने अपने भविष्य की भलाई को अपनी आंखों से नहीं देखा। उसने खुद का टुकड़ा गंवा दिया।

मोरल: लालच हानिकारक हो सकता है।

6. सिंह और जैकल: 

एक सिंह और एक जैकल साथ में शिकार करने गए। उन्होंने एक बड़ा शिकार पकड़ा, और जैकल ने इसे बराबरी के साथ बांटने का सुझाव दिया। हालांकि, सिंह ने अधिक भाग को लेने का इंसाफ किया।

बाद में, जब वे फिर से शिकार करने गए और जैकल ने शिकार किया, सिंह ने उसे साझा करने से मना कर दिया, कहते हुए कि वह राजा है। जैकल ने सीखा कि न्याय का दोपहरी करना चाहिए। 

मोरल: दूसरों के साथ वैवाहिकता बढ़ती है।

7. किसान और सांप

एक बार की बात है, एक गाँव में एक किसान रहता था। उसका नाम रामू था। रामू बहुत ही मेहनती और ईमानदार किसान था। उसकी दिनचर्या थी कि वह रोज़ अपनी खेती में लगा रहता था।

एक दिन, रामू अपनी खेत में काम कर रहा था और अचानक उसने एक बड़े सांप को देखा। सांप बहुत ही विशाल और खतरनाक था। रामू को बहुत डर लगा, लेकिन उसने अपने धैर्य को बनाये रखा और धीरे-धीरे पास से निकल गया।

रामू ने देखा कि सांप एक टंक में फंसा हुआ था। वह अचानक समझ गया कि यह सांप अपने दुश्मनों से भागते-भागते टंक में गिर गया होगा। रामू को देखते ही सांप उसकी ओर बढ़ा, लेकिन उसने सांप को नुकसान पहुंचाने की बजाय, उसे बचाने के लिए टंक में से बाहर निकाल दिया।

सांप को बाहर निकालते ही वह रामू के पैरों में लेट गया और रामू को गर्माहट महसूस होने लगी। लेकिन उसने समझा कि सांप ने उसे धन्यवाद कहना चाहा है।

रामू ने समझा कि हर जीव को एक मौका देना चाहिए, क्योंकि हर किसी के पास कुछ सीखने और सिखाने की क्षमता होती है। उसने सांप को चले जाने की इशारा की और वह खुशी-खुशी चला गया।

रामू ने उस घटना से सीखा कि दुश्मनों को नुकसान पहुंचाने की बजाय, हमें उन्हें माफ करके और मदद करके अपना अच्छाई दिखाना चाहिए।  

मोरल: ईमानदारी से काम करने और दूसरों की मदद करने में हमेशा खुशियाँ मिलती हैं।

8. चालाक मेंढ़क और चूहा

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में चालाक मेंढ़क और चूहा रहते थे। चालाक मेंढ़क बहुत होशियार था, वह हर बार अपनी चालाकियों से चूहे को हरा देता था। लेकिन चूहा भी कम नहीं था, वह भी चालाकियों से मेंढ़क को हराने का प्रयास करता रहता था।

एक दिन, चालाक मेंढ़क ने सोचा कि उसे चूहे को एक बार और धोखा देना होगा। उसने सोचा, “मैं एक नया योजना बनाऊंगा, जिससे चूहा पकड़ा नहीं जा सकेगा।”

चालाक मेंढ़क ने एक बड़ा खोजा और उसमें अच्छी तरह से चूहे के लिए छल की एक मशीन बनाई। मशीन को देखकर चूहा बहुत ही आश्चर्यचकित हुआ।

चालाक मेंढ़क ने मशीन को बहुत खूबसूरती से सजाया और उसे देखकर चूहा भी उसमें फंस गया। चालाक मेंढ़क ने मशीन को चालू किया और चूहे को फंसाकर उसका मजाक उड़ाने लगा।

लेकिन चालाकी का अंत तो हमेशा हार जाती है। चूहा ने धीरे-धीरे मशीन के बारे में समझ जाना। वह जाल से बाहर निकला और चालाक मेंढ़क को धोखा देते हुए अपनी मेंढ़की चालों से वहाँ से निकल गया।

चालाक मेंढ़क को बड़ी बदली लगी, वह अब समझ चुका था कि चूहा भी उसकी तरह होशियार था। इसका मतलब था कि चालाकी करने से अच्छा है, ईमानदारी से काम करना बेहतर है।


मोरल: होशियारी से काम करने का अभाव कभी भी बड़ी मुश्किल में डाल सकता है, जबकि ईमानदारी और सच्चाई से काम करने से हमेशा अच्छा होता है।

9. बैलिन की कहानी 

बैलिन की कहानी में एक बैलिन जो बहुत ही आलसी था, उसने किसी भी काम को करने की बजाय लगातार सोते रहना अपना अभ्यस्त माना। उसका आलस इस हद तक बढ़ गया था कि जब उसे भूख लगी, तो भी वह निकलकर खाने के लिए कोई प्रयास नहीं करता था।

एक दिन, जब उसे बहुत ज्यादा भूख लगी, तो वह एक पेड़ के नीचे गया, क्योंकि उसके मानसिकता में आया कि पेड़ के नीचे कुछ खाने को मिलेगा। परंतु उसकी आलस की वजह से वह खाने तक नहीं पहुंच पाया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि आलस का परिणाम हमेशा हानिकारक होता है। जब हम आलसी होते हैं और काम करने के बजाय आराम करते हैं, तो हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचने में समस्या होती है।

इससे हमारा समृद्धि में भी कमी आती है और हमारे जीवन में आराम की बजाय संघर्ष का महत्व होता है। इसलिए, हमें आलस को दूर करना और काम करने के लिए प्रेरित करने वाली सक्रियता को अपनाना चाहिए।

मोरल: आलस्य का परिणाम हमेशा हानिकारक होता है।

10. बकरी और भेड़: 

एक गाँव में, एक बकरी और एक भेड़ एक ही खेत में रहते थे। ये दोनों जानवर अपने आप में अलग-अलग प्रकार के थे। बकरी हमेशा से ही दयालु, सहानुभूति और संवेदनशील थी, जबकि भेड़ अधिक आत्मदर्पी और अहंकारी थी।

एक दिन, गाँव में तेज हवाओं की चपेट में आ गई। बादल गहरे हो गए और हवा चलने लगी। इस तूफान के साथ, बारिश की बूँदें भी गिरने लगीं। यह स्थिति बहुत ही खतरनाक थी, क्योंकि तेज हवाएँ और बारिश के बूँदें जानवरों के लिए खतरा बन सकते थे।

बकरी ने तुरंत अपने साथी भेड़ को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए कहा, “आओ, हम तुरंत खेत के एक सुरक्षित स्थान पर चलें, वहाँ हमें तेज हवाओं और बारिश से सुरक्षा मिलेगी।” लेकिन भेड़ ने उसकी सलाह को ध्यान में नहीं रखा और खुद को अपनी महत्ता में ही लिप्त कर लिया।

बकरी, जो अपने साथी की चिंता में थी, ने फिर कोशिश की भेड़ को अपने साथ लेने की, परंतु भेड़ ने अपनी गर्वितता के चलते उसकी मदद को माना नहीं। तभी, तूफान ने और तेजी से बढ़नी शुरू की, और भेड़ को सुरक्षित स्थान तक पहुँचने में मुश्किल हो गई।

बकरी ने खुद को और अपने साथी को बचाने के लिए तेजी से कदम बढ़ाया, और वह खेत के सुरक्षित स्थान तक पहुँच गई। लेकिन भेड़, जो अपनी अभिमानी और अहंकारी सोच में उलझी रही, अकेली रह गई और तूफान के प्रकोप में फंस गई।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि आत्म-समर्पण, सहानुभूति और दयालुता जीवन में महत्वपूर्ण गुण होते हैं। अगर हम दूसरों की मदद करते हैं और सहानुभूति दिखाते हैं, तो हमें समाज में सही रास्ता मिलता है, जो हमें सुरक्षित और संतुष्ट बनाता है। अत: अहंकार और अभिमान का त्याग कर, हमें समाज में सदभावना और सहयोग की भावना को बढ़ावा देना चाहिए।

मोरल: दयालुता और सहानुभूति महत्वपूर्ण गुण हैं।

11. जंगल का राजा शेर

एक जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे। उनमें सबसे बड़ा और शक्तिशाली जानवर शेर था। वह जंगल का राजा माना जाता था। उसकी दहाड़ और शक्ति को देखकर सभी जानवर डर जाते थे।

एक दिन, शेर को एक मांसाहारी शिकार मिला। वह उसका पीछा करते हुए उसे पकड़ लिया। लेकिन उसके पास खाने के लिए किसी भी स्थान नहीं था। वह बुखार्ता हो गया और उसकी ताकत कम हो गई।

तभी एक बाघ आया और उसने शेर को देखा। बाघ ने शेर से पूछा, “तुम्हारी यह हालत क्या हुई है, शेर भगवान का राजा होता है, फिर भी तुम इस हालत में क्यों हो?”

शेर ने उत्तर दिया, “मैंने हमेशा दूसरों को डराकर राजा बनने का सपना देखा, लेकिन अब मुझे लगता है कि सच्चा राजा वह है जो अपने जनवरों की देखभाल करता है।”

बाघ ने शेर को समझाया कि असली शक्ति और शान यह नहीं है कि दूसरों को डराया जाए, बल्कि यह है कि आप अपने जनवरों की देखभाल करें और उनकी सहायता करें।

मोरल: शक्ति का सही उपयोग वह है जो हमें दूसरों की मदद करने में हो, न कि उन्हें डराने में। असली राजा वह है जो अपने प्रजा की भलाई के लिए काम करता है।

12. बंदर की खोज

एक बुद्धिमान बंदर ने एक दिन निर्णय किया कि वह खोज यात्रा पर निकलेगा। उसने सोचा कि वह जंगल में घूम-घूमकर नई चीजें और ज्ञान को अधिक बढ़ा सकता है।

बंदर ने अपनी यात्रा शुरू की और जंगल में घूमने लगा। वह हर दिन नए जानवरों, पेड़-पौधों, और अन्य प्राणियों से मिलता रहा। उसने जंगल के हर कोने को खोजा और नए-नए ज्ञान को प्राप्त किया।

बंदर ने खुद को हमेशा शिक्षा के माध्यम से संपन्न करने का प्रयास किया। वह नए-नए बातें सीखता रहा और हमेशा अपने ज्ञान को बढ़ाने का प्रयास करता रहा।

इस कहानी का सिखावा है कि शिक्षा का महत्व कभी समाप्त नहीं होता है। हमें हमेशा सीखने की भावना बनाए रखनी चाहिए, चाहे हम जीवन के किसी भी चरण में हों। शिक्षा हमें समृद्धि और सम्मान की ओर ले जाती है और हमें अपने जीवन में सफलता की ओर अग्रसर करती है।

मोरल: शिक्षा का महत्व कभी समाप्त नहीं होता है।

13. लकड़हार का सपना

एक लकड़हार अपनी दुकान पर लकड़ी बेचता था। वह बहुत मेहनती और ईमानदार आदमी था। लेकिन उसकी दुकान छोटी थी और उसकी कमाई भी काफी कम थी। 

एक दिन उसने सोचा कि वह अपनी दुकान को बड़ा करना चाहिए। उसने मेहनत और संघर्ष करते हुए दुकान को बड़ाने का निर्णय लिया। उसने रोजाना देर रात तक काम किया और अपने सपने को पूरा करने के लिए लगातार मेहनत की।

धीरे-धीरे उसकी दुकान की पहचान बढ़ती गई और लोग उसकी दुकान से लकड़ी खरीदने लगे। उसकी मेहनत और ईमानदारी ने उसे सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया।

इस कहानी का सीखने का संदेश है कि मेहनत और ईमानदारी से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। यह हमें यह भी सिखाता है कि हमें किसी भी चीज को हासिल करने के लिए समय और मेहनत दोनों की जरूरत होती है। इसके अलावा, यह हमें यह भी सिखाता है कि हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि हमें उन्हें पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।

14. चील और खरगोश की मित्रता: 

यह कहानी एक चील और एक खरगोश की मित्रता पर आधारित है। वे दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और हमेशा एक-दूसरे के साथ खुशियां और दुःखों का साझा करते थे। जैसा कि हर सच्ची मित्रता का अर्थ होता है।

एक दिन, चील ने खरगोश को उसके साथ उड़ने की अनुमति दी। खरगोश ने इस मौके का लाभ उठाया और अपनी परिक्रमा को अद्भुत अनुभव पाने का मौका प्राप्त किया। इसके बाद, वे दोनों और भी निकट आ गए और एक-दूसरे के साथ और अधिक विश्वास और समर्थन का अनुभव करने लगे।

इस कहानी का मोरल है कि सच्ची मित्रता हमें खुशियों के लिए संगठित करती है। अच्छे दोस्त हमारे साथ हमेशा खुशियों और दुःखों का साझा करते हैं, और हमें हर मुश्किल में सहायता प्रदान करते हैं। यही कारण है कि सच्चे दोस्त हमारे जीवन में महत्वपूर्ण होते हैं और हमें हमेशा उनके साथ आत्मनिर्भर और सहायक होना चाहिए।

मोरल: सच्ची मित्रता हमें खुशियों के लिए संगठित करती है।

15. अपने गुणों का मोल करना

एक गधा जो खुद को नाचीज़ और अयोग्य मानता था, वह लोगों के नकारात्मक दृष्टिकोण के कारण अपने गुणों का मोल नहीं कर पा रहा था। वह हमेशा अपने आप को कमजोर और निरर्थक समझता था।

एक दिन, एक गरीब किसान उस गधे को अपने खेतों में मज़दूरी के लिए इस्तेमाल करने के लिए आया। गधा ने खुद को उस मज़दूरी के लिए अनुप्रयोग किया, जिससे उसने अपने असली योग्यता और सामर्थ्य को प्रकट किया। वह न सिर्फ किसान के काम को पूरा किया, बल्कि उसने उसे बेहतरीन तरीके से किया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपने गुणों और सामर्थ्य का सम्मान करना चाहिए। हमें किसी भी स्थिति में अपने आत्म-विश्वास को हार नहीं मानना चाहिए, बल्कि हमें अपने क्षमताओं को पहचानना और उन्हें सही समय पर प्रदर्शित करना चाहिए। इससे हम अपने जीवन में सफलता की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

16. चीटी और टिड्डा की कहानी 

एक बार की बात है, एक मेहनती चींटी और एक आलसी टिड्डा एक ही गाँव में रहते थे। गर्मी के महीनों में, चींटी दिन रात मेहनत करके अपने लिए भोजन इकट्ठा करती रहती थी, जबकि टिड्डा गाने-गाने और नाचने में लगा रहता था। चींटी ने सोचा कि जब मौसम बदल जाएगा, तो उसे अपने पास पर्याप्त भोजन होने चाहिए। वह इस बात का प्लान बनाकर काम किया।

जब जब शीत आया, टिड्डा के पास कोई भोजन नहीं था, वह भूखा-प्यासा घूम-घूमकर भोजन के लिए भटक रहा था। जबकि चींटी के पास पर्याप्त भोजन था, जिससे वह पूरे मौसम को बिता सकती थी।

इस कहानी का सिखाव है: मेहनत करो और भविष्य के लिए योजना बनाओ।

17. गरीबी से सीख

यह कहानी है एक गरीब लड़के की, जो अपनी माँ से अनगिनत सिखता रहा। उसकी माँ ने उसे बताया कि कैसे वह अपने जीवन में कमज़ोरियों का सामना कर सकता है। लड़के ने मेहनत और ईमानदारी के साथ अपने सपनों की पुर्ति के लिए काम किया। 

वह अपनी मेहनत और संघर्ष के बावजूद निरंतर आगे बढ़ता रहा और अपने लक्ष्यों को हासिल करने में सफल हुआ। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि गरीबी भी एक अद्वितीय शिक्षक हो सकती है, जो हमें मेहनत, संघर्ष और ईमानदारी का महत्व सिखा सकती है। इसके जरिए हम अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो सकते हैं।

मोरल: गरीबी भी एक बड़ा शिक्षक हो सकती है।

18. विवेकपूर्ण बकरी: 

एक बार की बात है, जंगल में एक बकरी रहती थी। यह बकरी अन्य सभी जानवरों के बीच बहुत ही समझदार और विवेकी थी। उसका नाम ‘विवेकपूर्ण’ था।

एक दिन, जंगल में एक जंगली भालू आया। वह भालू बहुत भयंकर दिख रहा था और अन्य जानवर डर के मारे छिप गए। लेकिन विवेकपूर्ण बकरी ने समझा कि भालू को चिढ़ाने से या उससे लड़ने से कोई फायदा नहीं होगा। उसने तत्काल एक चाल बनाई और भालू की ध्यान केंद्रित करने के लिए बारहवाँ बजाया। इस पर भालू ने अपने आप को और अपना बचावी कार्य शुरू किया।

एक और बार, एक जंगली लोमड़ी आई। लोमड़ी ने अपनी चाल में बहुत सुन्दरता दिखाई और अन्य जानवर उसकी ओर आकर्षित हो गए। लेकिन विवेकपूर्ण बकरी ने समझा कि इसके पीछे कोई खोजने वाली बात नहीं है और उसने अपने अपने दिन की कामना निबटाई।

इसी तरह, विवेकपूर्ण बकरी ने हमेशा अपने विवेकपूर्ण निर्णयों से जंगल के हर संघर्ष का सामना किया। उसकी बुद्धिमत्ता ने उसे हमेशा सही राह दिखाई और संघर्षों से बचाया।

धीरे-धीरे, अन्य जानवर विवेकपूर्ण बकरी के बुद्धिमान निर्णयों का सम्मान करने लगे। वे उसे एक आदर्श मानने लगे और उसके साथ मिलकर जीवन के हर मोड़ पर निर्णय लेने लगे।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि विवेकपूर्णता हमें हमेशा सफलता की ओर ले जाती है। जीवन में संघर्ष हमेशा होते रहते हैं, लेकिन हमें सही निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए, जो हमें सफलता की ओर ले जाती है। विवेकपूर्णता का आदर्श लेकर ही हम सही निर्णय ले सकते हैं और अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।

मोरल: विवेकपूर्णता हमें अधिक सफलता की ओर ले जाती है।

19. सफलता की सीख

यह कहानी है एक छोटे से गाँव के एक लड़के की, जिसका नाम राहुल था। राहुल गरीब परिवार से था, लेकिन उसके सपने बड़े थे। उसका सपना था कि वह अपने गाँव के बाहर की शिक्षा प्राप्त करके अपने परिवार की स्थिति में सुधार करेगा।

राहुल का शिक्षा के प्रति उत्साह और जिज्ञासा था। वह हमेशा से अध्ययन के प्रति लगाव रखता था और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरी मेहनत करता था। लेकिन गाँव में उसके पास उच्च शिक्षा के संसाधन नहीं थे।

राहुल का जीवन उसकी मेहनत और संघर्ष से भरा था। वह हमेशा से लड़कों के बीच अग्रणी था, चाहे वह किसी खेल में हो या शैक्षिक क्षेत्र में। लेकिन उसका सबसे बड़ा संघर्ष उसे अपने लक्ष्य तक पहुँचाने में आया।

उसने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई मुश्किलों का सामना किया। पैसों की कमी, विद्यालय की दूरी, और परिवार के अनुदान की अभावना उसे टूटने नहीं देती थी।

लेकिन राहुल ने कभी हार नहीं मानी। उसने अपने सपनों को पाने के लिए हर मुश्किल का सामना किया। उसने रातोंरात पढ़ाई की, उसने समय की मूल्य को समझा और अपने लक्ष्य की दिशा में निरंतर आगे बढ़ता रहा।

आखिरकार, उसकी मेहनत और संघर्ष ने उसे उसके लक्ष्य तक पहुँचा दिया। वह एक प्रमुख विश्वविद्यालय में दाखिला प्राप्त करने में सफल हुआ। उसके संघर्ष ने उसे यह सिखाया कि मेहनत और संघर्ष ही सफलता की सीधी राह होती है।

इस कहानी का सारांश है कि हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत और संघर्ष करना होता है। जीवन में आने वाली हर मुश्किल का सामना करते हुए हमें हार नहीं माननी चाहिए। धैर्य, संघर्ष, और मेहनत ही हमें सफलता की ओर ले जाते हैं।

20. बुद्धिमान खरगोश: 

एक जंगल में एक बुद्धिमान खरगोश रहता था। वह बुद्धिमानी और विवेकपूर्णता के साथ जाना जाता था। उसके पास एक शत्रु भी था, जो कभी-कभी उसे परेशान करता था।

एक दिन, वह खरगोश अपने घर के पास घूम रहा था। अचानक, उसने अपने शत्रु को एक दिशा में देखा, जो कुछ दूरी पर खड़ा था। उसने तत्पश्चात् देखा कि उसका शत्रु वहाँ कोई भोजन ढूंढ़ रहा था। खरगोश ने तुरंत विवेकपूर्णता का उपयोग किया और सोचा, “मुझे इसका लाभ उठाना चाहिए।”

वह धीरे-धीरे उसके पास गया और उसके पास स्थित हो गया। शत्रु ने उसे देखा, और उसने अपने भोजन को छोड़ दिया। खरगोश ने शत्रु से बोला, “हे शत्रु, मैं जानता हूँ कि हम दोनों के बीच एक बड़ा संघर्ष चल रहा है। लेकिन क्या हम इसे निराकरण नहीं कर सकते? क्या हम दोनों एक-दूसरे के साथ शांति से रह सकते हैं?”

शत्रु ने सोचा और उत्तर दिया, “तुम सही कह रहे हो। हमें इस संघर्ष को समाप्त करने की कोशिश करनी चाहिए।”

खरगोश और उसका शत्रु फिर से मित्र बन गए। उन्होंने साथ मिलकर जंगल के अन्य जीवों के साथ भी शांति और समझौता का संदेश फैलाया।

 मोरल: बुद्धिमानी हमें हर समस्या का हल निकालने में सहायक होती है।

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21. खरगोश और कछुआ

एक तेज़ खरगोश ने अपनी गति पर गर्व किया एक धीमे कछुए से। उन्होंने तय किया कि वे एक दौड़ में भाग लेंगे। खरगोश पहले ही दौड़ लगाते हैं लेकिन अभिमान में आकर वह एक नींद लेते हैं। इस बीच, कछुआ धीरे-धीरे पर बने और स्थिरता से आगे बढ़ते हैं और दौड़ जीतते हैं। 

यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में हमें हमेशा धीरे और स्थिर रहना चाहिए। धीमे धीमे परिणाम स्थायी होते हैं और स्थिरता हमें मंजिल तक पहुंचाती है। जब हम अभिमान में आकर अधिक गर्व करते हैं, तो हम अक्सर अपने लक्ष्य को खो देते हैं। 

विपरीत, धीरे-धीरे प्रयास करने से हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, हमें हमेशा धीरे-धीरे परिश्रम करते रहना चाहिए और अपने मार्ग पर स्थिर रहना चाहिए।

22. भेड़ बोला बच्चा

एक बार की बात है, एक छोटा सा गाँव था जहाँ एक बच्चा एक छोटा सा गधे रखकर रहता था। उसका काम गाँव की भेड़-बकरियों की देखभाल करना था।

वह बच्चा बहुत ही नाटकीय और शरारती था। कभी-कभार वह अपने दोस्तों के साथ मज़ाक करता और गाँव के लोगों को उल्लू बनाता रहता था।

एक दिन, वह बच्चा अपनी आवाज़ को बुलंद करके गाँव के लोगों को बुलाता है, “आओ, आओ, देखो, एक भेड़घास आ रहा है!” लोग धूप में अधीर होकर दौड़ते हैं, लेकिन जब वे वहाँ पहुँचते हैं, तो उन्हें कोई भेड़घास नहीं मिलता।

बच्चा मज़ाक करके बोलता है, “हे लोगों, मैंने तो सिर्फ मज़ाक किया। कोई भेड़घास नहीं था!”

लोग गुस्से में उसे छोड़ देते हैं।

फिर, कुछ दिनों बाद, उस बच्चे ने फिर से गाँव के लोगों को चिल्लाया, “आओ, आओ, देखो, एक भेड़घास आ रहा है!” लेकिन इस बार भी लोगों ने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।

अंत में, एक दिन वास्तव में एक भेड़घास गाँव में आता है। बच्चा ज़ोर से चिल्लाता है, “मदद, मदद, भेड़घास आ गया है!”

लेकिन इस बार भी कोई उसकी मदद नहीं करता।

भेड़घास ने बच्चे की सारी भेड़-बकरियाँ खा ली।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। झूठे बोलने से अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

23. शेर और चूहा

एक बार की बात है, जंगल की गहराइयों में एक शेर ने एक चूहे को पकड़ लिया। वह उसे खा जाने की तैयारी में था कि चूहा बेदर्दी से उससे बात की। चूहा ने शेर से माफी मांगी और उससे कहा कि कभी ना कभी वह उसकी मदद करेगा। शेर ने हंसते हुए चूहे को छोड़ दिया।

कुछ समय बाद, एक दिन शेर एक शिकारी के जाल में फंस गया। वह जाल में फंसा हुआ था, और उसका कोई सहारा नहीं था। तभी वह चूहा आया और उसने अपनी तीखी दांतों से जाल के रस्सों को काट दिया। शेर बच गया।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि छोटे-छोटे दोस्त भी कभी-कभी बड़ी मदद कर सकते हैं। शेर की हानि होती, यदि उसने चूहे को मार दिया होता, लेकिन वह उसे छोड़ दिया और चूहे की असामान्य उपयोगी मदद ने उसकी जान बचा ली।

24. सोने के अंडे देने वाली हंस

एक गरीब किसान के पास एक हंस था जो हर दिन एक सोने का अंडा देता था। उसकी जिद बढ़ती गई और वह अधिक से अधिक सोने के अंडे चाहने लगा। धन की लालसा में उसने हंस को जबरदस्ती मार दिया, उम्मीद करते हुए कि उसके अंदर सभी सोने के अंडे होंगे। परन्तु उसने कुछ भी नहीं पाया। इस कहानी का मर्यादा यह है कि लालच हानि का कारण बनता है।

यह कहानी हमें बताती है कि हमें हमेशा अपनी भलाई की सीमा में रहना चाहिए। अधिक चाहने की लालसा हमें अक्सर खो देती है। बहुत ज़्यादा लालची होने से हम अपने हाथ से उसकी वास्तविकता को नष्ट कर सकते हैं। हर किसी को अपनी सीमा को समझकर चलना चाहिए, ताकि वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सके और समृद्धि में सम्मान्य रूप से जीवन बिता सके।

25. लोमड़ी और अंगूर

एक बार की बात है, एक लोमड़ी ने एक अंगूर की बेल पर लटके हुए कुछ अंगूर देखे। वह उन्हें पाने की कोशिश की, लेकिन वे बहुत ऊपर थे और उसकी लंबाई उन्हें पहुंचने के लिए पर्याप्त नहीं थी। लोमड़ी ने कई बार प्रयास किया, लेकिन वह सफल नहीं हो सका।

अंत में, थक कर, लोमड़ी ने इन अंगूरों को छोड़ दिया और दूर चली गई। उसने खुशियों के स्वर में कहा, “शायद ये अंगूर खट्टे होंगे ही।”

इस कहानी का सारांश है कि जिन चीजों को हम नहीं पा सकते, उन्हें हम आसानी से ठुकरा देते हैं और उन्हें अपने लिए कड़वा मान लेते हैं। इससे हमें यह याद रखना चाहिए कि धैर्य और प्रयास से हम किसी भी चीज को हासिल कर सकते हैं, और उसकी मूल्यांकन करने से पहले हमें इसके लिए पूरी कोशिश करनी चाहिए।

26. कौवा और मटका

एक प्यासा कौवा एक मटका पाया जिसमें पानी था लेकिन वह उसके पहुंच नहीं सका। इसलिए, उसने एक-एक करके मटके में पत्थर डाले जब तक कि पानी ऊपर न चला, जिससे कौवा पी सके। इस कहानी का सिख है: आवश्यकता आविष्कार की जननी है।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कभी-कभी हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन हमें निराश नहीं होना चाहिए। हमें उन समस्याओं का सामना करने के लिए नए-नए उपाय खोजने की आवश्यकता होती है। जितना हमारा इच्छाशक्ति और उत्साह होगा, हम उतना ही नए और सरल तरीके ढूंढ पाएंगे।

इस कहानी में, कौवा ने अपनी प्यास बुझाने के लिए समस्या का सामना किया और अपनी आवश्यकता के अनुसार एक उत्कृष्ट तरीके से समाधान निकाला। इससे हमें यह सीख मिलती है कि अगर हमारी इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो हम किसी भी समस्या का सामना कर सकते हैं और नए रास्ते खोज सकते हैं।

27. लड़का और सेब का पेड़: 

एक गाँव में एक सुंदर सा सेब का पेड़ था। वहाँ के लोगों को उस पेड़ से हमेशा सेबों की खुशबू आती थी और सेब भी बहुत ही मिठे और स्वादिष्ट होते थे।

एक दिन, एक छोटा सा लड़का उस पेड़ के पास आया और देखा कि सेब के पेड़ पर बहुत सारे सेब हैं। उसने एक सेब तोड़ा और खा लिया। वह बहुत खुश हो गया। उसके बाद, हर दिन वह उस पेड़ के पास जाता और सेब तोड़कर खाता। पेड़ भी उसे अपना साथी मानने लगा।

लेकिन समय बीता, लड़का बड़ा हो गया। उसने अपने कामों के चलते पेड़ के पास जाने का समय नहीं मिलता था। उसने सेब के पेड़ की ओर ध्यान नहीं दिया। पेड़ भी अकेला महसूस करने लगा।

फिर एक दिन, लड़का बूढ़ा हो गया। उसने अपने बचपन की यादें ताजा की और सोचा, “क्या मैं अब भी उस सेब के पेड़ के पास जाऊंगा?” उसने तय किया कि वह अपने पुराने दोस्त, सेब के पेड़ के पास जाएगा।

बूढ़े लड़के ने उस सेब के पेड़ के पास जाकर देखा, वह पेड़ अभी भी वहीं खड़ा था, पर कुछ कमजोर हो गया था। वह अब ज्यादा सेब नहीं दे पा रहा था।

बूढ़े लड़के ने अपनी आँखों में आँसू छलकाया और पेड़ से माफ़ी मांगी। पेड़ ने उसे वापस अपने आच्छे दोस्त के रूप में स्वागत किया और उसे अपनी छाँव और जितने सेब बचे थे, वह सब दिए।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि दोस्ती और दया का मूल्य कितना महत्वपूर्ण है। जैसे हम दूसरों के साथ दया और दया करते हैं, वैसे ही हमें भी दूसरों का साथ और उनका मदद करना चाहिए।

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28. बुढा आदमी और उसके पुत्र के झगड़े

एक बुजुर्ग आदमी के कई पुत्र थे जो निरंतर झगड़े किया करते थे। एक दिन उन्होंने हर पुत्र को एक लाठी दी और उनसे कहा कि इसे तोड़ दो, जो उन्होंने आसानी से किया। फिर उन्होंने उन लाठियों को बांधकर एक सिक्के के आकार में बनाया और उनसे कहा कि इसे तोड़ो, लेकिन वे इसे तोड़ नहीं सके।

बुजुर्ग आदमी ने उन्हें समझाया कि एकता ही उन्हें मजबूत बनाती है। उनका यह प्रयोग यह सिद्ध करता है कि जब हम सभी एकत्र होते हैं, तो हमें कोई भी ताकत नहीं तोड़ सकती है।

इस कहानी का मर्म है: जब हम एकत्र होते हैं, तो हम मजबूत होते हैं, और जब हम विभाजित होते हैं, तो हम गिर पड़ते हैं।

29. हवा और सूरज

हवा और सूरज के बीच महाभारी हो गई थी कि कौन शक्तिशाली है। उन्होंने एक आदमी को चलते हुए देखा और एक प्रतियोगिता का निर्णय किया। जो व्यक्ति उसकी कोट निकालने के लिए मजबूर कर सके, वह विजेता होगा। हवा ने तेजी से फूंका, लेकिन आदमी ने अपनी कोट को मजबूती से पकड़ा रखा। फिर, सूरज ने गर्मी से चमकाया, और आदमी ने खुशी-खुशी अपनी कोट उतार ली। 

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जब हम किसी को कुछ करने के लिए मजबूर करने की कोशिश करते हैं, तो अक्सर हमारी प्रयास हानिकारक साबित होती है। हवा ने जोर से फूंका, परंतु आदमी ने अपनी कोट को और मजबूती से पकड़ा। 

इसके बाद, सूरज ने अपनी गर्मी से आदमी को दिखाया कि उसका कोट उतारने में कितनी आसानी है। यह दिखाता है कि समझाना और संवाद का महत्व कितना है। जब हम दूसरों को अपने विचारों और विश्वासों को समझाते हैं, तो हम उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। इस बात का अंदाजा हमें यह कहानी देती है कि विवेकपूर्ण और समझदार तरीके से अपील करना हमेशा बेहतर होता है जबकि ज़बरदस्ती से नहीं।

मोरल है: समझाना बल का उपयोग से बेहतर होता है।

30. भालू और मधुमक्खी

एक भालू ने एक मधुकों से भरा शहद का छत्ता पाया। उसने शहद को पहुंचने की कोशिश की, लेकिन मधुमक्खियों ने उसे काट लिया। उसने महसूस किया कि छत्ते को सीधे हमला करना कामयाब नहीं होगा। बल्कि, उसने मधुमक्खियों को छोड़ने का इंतजार किया और फिर शहद का आनंद लिया।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि धैर्य और रणनीति की मदद से हम मुश्किलों को पार कर सकते हैं। जितना समय हमें अपने लक्ष्य को हासिल करने में लग सकता है, उतना ही समय हमें सही रणनीति का चयन करने में लगना चाहिए। इस कहानी के माध्यम से हमें यह भी सिखाया जाता है कि अक्सर धैर्य और सोची समझी कार्यवाही उस समस्या का समाधान कर सकती है जो सीधे तौर पर नहीं हो सकता।

31. चार दोस्त और शेर: 

एक बार की बात है, एक जंगल में चार दोस्त रहते थे—एक चूहा, एक कौआ, एक हिरण, और एक कछुआ। वे एक-दूसरे की मदद करते थे जब ज़रूरत होती थी। एक दिन, उन्होंने एक शेर को जाल में फंसा हुआ पाया और मिलकर उसे आज़ाद कर दिया। बाद में, जब शेर शिकार कर रहा था, तो उसने अपना शिकार उनके साथ साझा किया। 

यह कहानी हमें सिखाती है कि जब हम साथ मिलकर काम करते हैं, तो हमारी मदद का फल हमें जरूर मिलता है। दोस्तों के बिना हम अकेले होते हैं, लेकिन दोस्तों के साथ हमारा सामर्थ्य और बढ़ जाता है। 

इसके अलावा, यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि किसी के प्रति उत्कृष्टता दिखाने के लिए हमें उसकी मदद करना चाहिए। शेर ने जब उनकी मदद की थी, तो बाद में उसने उनकी मदद की। इसलिए, हमें हमेशा दूसरों की मदद करने का प्रयास करना चाहिए। यही हमारी मित्रता को और भी मजबूत और गहरा बनाता है।

32. कौवा और लोमड़ी

एक जंगल में, एक कौवा एक पेड़ के ऊपर बैठा हुआ था। वह बहुत ही खुश दिख रहा था क्योंकि उसने एक पनीर का टुकड़ा पाया था, जो कि उसको बहुत ही स्वादिष्ट लग रहा था। वह पनीर को खाते हुए अपने आस-पास के वातावरण का आनंद ले रहा था।

तभी एक लोमड़ी वहाँ से गुजर रही थी। जब उसने कौवे के हाथ में पनीर का टुकड़ा देखा, तो उसने उसकी तारीफ करते हुए कहा, “अरे कौवे भैया, आपकी आवाज़ तो कितनी मधुर है! कभी भी सुना नहीं ऐसा गाना।”

कौवा ने यह सुनकर बहुत खुश हो गया। उसने सोचा, “हमारी आवाज़ सचमुच मधुर है! मुझे तो इसे अधिक सुंदर तारीफ मिल रही है।” उसने अपना गर्व और खुशी बढ़ाते हुए अपनी आवाज़ को दिखाने का निर्णय किया।

कौवा ने अपनी चोंच खोली और गाना गाने लगा। लेकिन उसका गाना अधूरा रह गया, क्योंकि उसने पनीर को गाने के दौरान गिरा दिया। लोमड़ी, जो धूर्त थी, तुरंत पनीर को उठा लिया और उसके पास भाग गई।

कौवा बहुत ही हैरान और दुखी हो गया। उसने अपनी भूल का अहसास किया कि वह लोमड़ी के खुशामद के चक्कर में आ गया था। उसने समझा कि लोमड़ी का उद्देश्य सिर्फ उसको धोखा देना था।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि धोखेबाज़ लोग तारीफ करके हमें फुसला सकते हैं। हमें सतर्क रहना चाहिए और खुद को धोखेबाज़ों से बचाना चाहिए।

33. हाथी और अंधे लोग

कई अंधे लोग पहली बार एक हाथी के सामने आए। हर एक ने हाथी के एक अलग हिस्से को स्पर्श किया और अपने सीमित अनुभव के आधार पर उसे वर्णन किया। एक ने सुंड छूआ और समझा कि यह एक साँप है, दूसरा पैर छूआ और सोचा कि यह एक पेड़ का तना है, और ऐसा ही आगे चलकर हुआ।

वे अपने अनुभवों पर वाद-विवाद करने लगे जब तक कि उन्हें यह एहसास नहीं हुआ कि वे सभी आंशिक रूप से सही हैं, लेकिन कोई भी पूरी तरह से हाथी को समझ नहीं पा रहा था। इस कहानी का मोरल है: सच्चाई सब्जेक्टिव हो सकती है, और विभिन्न दृष्टिकोणों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है।

34. राजा का अनमोल अंगूठी

एक राजा के पास एक अनमोल अंगूठी थी जिस पर लिखा था, “यह भी गुजरेगा।” जब भी उसे दुखी या खुश महसूस होता, तो वह उस अंगूठी को देखता और उसकी मदद से समझ जाता कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। इस कहानी का मर्म है: अनित्यता जीवन का एक मौलिक पहलू है।

एक बार की बात है, एक राजा ने अपने जीवन में बहुत से सुख-दुख देखे थे। वह जानते थे कि समय की धारा कभी भी उनके पक्ष में नहीं रहती है। उन्हें इस बात का बहुत ही अच्छा अनुभव था कि सभी चीजें स्थायी नहीं होतीं, चाहे वो सुख हो या दुःख।

एक दिन, जब उनके राज्य में समय की कठिनाईयों का सामना करना पड़ा, राजा बहुत उदास हो गए। उन्होंने अपनी अंगूठी पर दृष्टि डाली और उस पर लिखे गए विचार को याद किया, “यह भी गुजरेगा।” इससे उन्हें एक नई ऊर्जा का एहसास हुआ और उन्होंने समस्याओं का सामना किया।

समय बदलता रहता है और हर चीज़ इसके साथ बदल जाती है। राजा ने सीख लिया कि जीवन का सफर एक अनिश्चितता का सफर है, जिसमें सुख और दुःख दोनों होते हैं। लेकिन उसने इसे स्वीकार किया और अपने अंगूठी की सहायता से उससे सामना किया। इसके माध्यम से, वह जीवन के अनित्यता को स्वीकार करके संतुष्ट और स्थिर मन से जीते।

इस कहानी का सार यह है कि हमें अपने जीवन में अनित्यता को स्वीकार करना चाहिए और हमें स्थिरता और संतोष की प्राप्ति के लिए इसे अपनाना चाहिए। यह हमें हर परिस्थिति में साहस और संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

35. कंजूस और उसका सोना

एक कंजूस व्यक्ति था जो किसी भी दौलत को बचाकर रखने की आदत थी। उसने अपने सारे सोने को भूमि में गाड़ दिया और हर दिन उसे देखने के लिए जाता था। वह अपनी इस दौलत की महिमा का आनंद लेता था।

एक दिन, एक चोर ने इसे देख लिया और उस सोने को चुरा लिया। जब कंजूस ने इस चोरी का पता लगाया, तो उसने अपनी हानि पर विचार किया, और यह समझा कि उसने अपनी धन संग्रह करने की प्रेरणा से कुछ भी प्राप्त नहीं किया।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि धन का मूल्य तभी होता है जब हम उसे बुद्धिमत्ता से उपयोग करते हैं, नहीं तो वह हमें किसी भी रूप में लाभ नहीं देता।

36. मोर और सारस

एक घमंडी मोर ने एक सारस का मजाक उड़ाया क्योंकि उसकी धुंधली दिखने और साधारण जीवन के कारण। लेकिन जब एक शिकारी आया, तो सारस गरिमान से उड़ गया जबकि मोर, अपनी खूबसूरत लेकिन भारी पंखों के साथ, बचने के लिए संघर्ष कर रहा था और फंस गया।

इस कहानी का सीखने का संदेश है: घमंडी और असुरक्षित होने के बजाय, विनम्र और व्यावहारिक होना बेहतर है।

एक बार की बात है, जंगल में एक राजा मोर और एक सारस रहते थे। मोर बहुत ही घमंडी था, वह अपनी खूबसूरती पर बहुत गर्व करता था। वह हमेशा अपनी खूबसूरत पंखों को खोजता और अपनी उन्नति की तारीफ करता रहता था।

वहाँ, उसके बिलकुल सामान्य और आलसी पड़ोसी, जो सारस था। सारस ने अपने जीवन को आराम से गुजारने का आनंद लिया। वह शांति से नदी के किनारे पर बैठता और खाना ढूँढता रहता था।

एक दिन, मोर ने उसे उड़ान भरने का तरीका सिखाने के लिए उकसाया। “आप कितने धुंधली और साधारण दिखते हैं!” मोर ने कहा, “मेरे साथ रहने के बावजूद, आप कभी अपने आप को सजाने की कोशिश भी नहीं करते।”

सारस ने धीरे से हंसते हुए उत्तर दिया, “भले ही मैं धुंधली और साधारण दिखता हूँ, लेकिन मुझे अपनी साधारणता का गर्व है। और जब कभी भी संकट आता है, तो मैं अपनी शानदार उड़ान भरता हूँ और संकट से बच जाता हूँ।”

थोड़ी देर बाद, जंगल में एक शिकारी आया। वह एक तीर की तलाश में था, और मोर के खूबसूरत पंखों की तरफ आकर्षित हो गया। वह अपना तीर चला दिया, जिससे मोर भगता हुआ और फंस जाता है।

जबकि सारस, अपने साधारण पंखों के साथ, शांति से उड़ गया और खतरे से बच गया।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि घमंडी और असुरक्षित होने के बजाय, विनम्र और व्यावहारिक होना हमेशा बेहतर होता है।

37. पेड़ और घास

एक बड़ा बालू एक नाले के किनारे खड़ा था। यह बालू बहुत ही मजबूत और घमंडी था। यह अपनी मजबूती की बड़ी-बड़ी बातें करता रहता और बारिश और हवा की बड़ी-बड़ी बातें को ठुकराता रहता।

वहां उसके पास एक छोटी सी नाली थी, जिसमें कई घास के पौधे थे। ये घास के पौधे बहुत ही नम्र और लचीले थे।

एक दिन, एक तेज तूफान आया। हवाओं ने बहुत ही तेजी से चलना शुरू किया। बालू ने अपनी मजबूती पर भरोसा किया, लेकिन जैसे ही हवाएं उसके सामने आईं, वह गिर गया। वह इतना मजबूत था कि उसके डाल पूरे ही टूट गए।

जब तूफान बीत गया, तो बालू ने देखा कि वह नाली के किनारे पर खड़ा घास के पौधों को भीगते हुए भी सुरक्षित रहा था। उसने उन्हें देखकर यह सीखा कि जब हवाएं तेज़ होती हैं, तो नम्रता और लचीलापन ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है।

इस कहानी का सिखने का संदेश है कि जीवन में लचीलापन और समाधान अक्सर मजबूती से अधिक फायदेमंद होते हैं।

38. बच्चा और चाँद

एक छोटा लड़का था। उसका नाम नील था। नील बड़ा चाँद देखकर हर रात हैरान हो जाता था। उसका मानना था कि चाँद इतना करीब है कि उसे हाथ लगाया जा सकता है।

एक दिन, नील ने तय किया कि वह चाँद को छूने का प्रयास करेगा। वह एक पहाड़ी की ओर बढ़ा, सोचता कि वहां से चाँद को छू सकेगा। लेकिन जैसे ही वह पहाड़ी के ऊपर पहुँचा, उसने देखा कि चाँद अभी भी बहुत दूर है। नील का दिल टूट गया।

नील ने सोचा, “मुझे क्यों नहीं पता था कि चाँद इतना दूर है? क्या मैं सचमुच उसे छू सकता हूँ?”

वह निराश होकर वापस आया। लेकिन उसके दिल में अब एक नई सोच थी। उसने समझा कि कभी-कभी हमें चीजों को दूर से ही प्रशंसा करनी चाहिए। उसके मानने के अनुसार, सफर कभी-कभी लक्ष्य से भी अधिक महत्वपूर्ण होता है।

नील ने फिर से चाँद को देखा, लेकिन इस बार उसने अपने मन की आँखों से ही उसकी सुंदरता का आनंद लिया। वह समझ गया कि चाँद को छूने की कोशिश करना महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि उसकी सुंदरता का आनंद लेना है।

39. कुआं में मेंढ़क

एक छोटा सा मेंढ़क जो कि एक कुएं में रहता था। वह सोचता था कि यह कुआं ही पूरी दुनिया है। उसने कभी बाहर की दुनिया को देखा नहीं था। उसका विश्वास था कि जो कुआं के बाहर है, वह सब झूठ है।

एक दिन, समुंदर से आया हुआ एक मेंढ़क उसके पास आया। वह समुंदर के बारे में कहानियाँ सुनाने लगा। उसने बताया कि समुंदर कितना बड़ा है, कितनी गहरा है, और कितनी रोमांचक यात्राएँ होती हैं।

कुएं में रहने वाले मेंढ़क ने उसकी बातें सुनी, पर वह उसकी बातों को स्वीकार नहीं कर सका। उसने कहा, “तुम झूठ बोल रहे हो। समुंदर कितना बड़ा हो सकता है? यह संभव नहीं है! मेरे लिए, कुआं ही सब कुछ है, और मैं उसके अलावा किसी और चीज को मानने को तैयार नहीं हूँ।”

समुंदर का मेंढ़क हँसते हुए चला गया। पर वह उसकी मंजिल में पहुँच गया था, जहाँ समुंदर के सुंदर आभास थे।

इस कहानी का सारांश यह है कि हमें अपने विचारों को सीमित न करना चाहिए। हमें खुद को एक छोटे सोच के कुआं में नहीं बाँधना चाहिए, बल्कि हमें दुनिया की विविधता को समझने और स्वीकार करने की कोशिश करनी चाहिए।

40. मछुआरा और जिन

एक समय की बात है, एक मछुआरा नाम के व्यक्ति था। वह रोज़ाना समुद्र के किनारे पर अपना काम करता था। एक दिन, वह खास तौर पर गहरी जल में फिशिंग कर रहा था। अचानक, उसने एक जादुई लैंप पाई। जब वह उसे साफ करने के लिए झाड़ू से पोंचा, तो वहाँ से एक जिन निकला।

जिन ने मछुआरे से कहा, “मैं तुम्हारा जिन हूँ और मैं तुम्हें तीन ख्वाहिशें पूरी करने की शक्ति देता हूँ।”

मछुआरा ने उस समय सोचा, “मुझे धन की बहुत जरूरत है।” और वह चाहता रहा, “मेरी पहली ख्वाहिश है कि मुझे ढेर सारा सोना और चांदी मिले।”

जिन ने उसकी इस ख्वाहिश को पूरा किया, लेकिन उसने सोने और चांदी की इतनी बड़ी राशि मांगी कि उसकी नाव ही भरपूर सोने और चांदी से भर गई। अब वह अपनी नाव को संतुष्टी से चला नहीं सकता था।

फिर मछुआरा ने अपनी दूसरी ख्वाहिश मांगी, “मेरी दूसरी ख्वाहिश है कि मुझे समुद्र का राजा बना दिया जाए।”

जिन ने उसकी दूसरी ख्वाहिश को पूरा किया, लेकिन उसने यह नहीं सोचा था कि राजा बनने का बोझ कितना भारी होता है। अब वह राजा बनकर अपनी जिम्मेदारियों से परेशान था और उसके पास कोई आनंद नहीं था।

अब मछुआरा समझ गया कि उसकी ग़लती हो गई है और वह अपने अंतिम ख्वाहिश के लिए सोचने लगा। “मेरी तीसरी और अंतिम ख्वाहिश है कि मैं जैसा हूँ वैसा ही रहूँ और मुझे कुछ भी न बदलने दिया जाए।”

जिन ने उसकी तीसरी ख्वाहिश को पूरा किया और मछुआरा फिर से अपने सामान्य जीवन में लौट आया। वह समझ गया कि अक्सर हमारी लालची ख्वाहिशें हमें अनजानी और अनचाही समस्याओं में फंसा सकती हैं। इसलिए, उसने यह सीख ली कि हमें अपनी ख्वाहिशों को सोच-समझकर और संतुष्टि के साथ चुनना चाहिए।

इस कहानी का सिखाने वाला सन्देश है: “जो ख्वाहिशें हम पूरी करने की जल्दी में करते हैं, वे अक्सर हमें अप्रत्याशित परिणामों में डाल सकती हैं।”

41. घोड़े और गधे की दौड़

एक घोड़ा और एक गधा ने फैसला किया कि वे दौड़ लगाएंगे। घोड़ा तेजी से दौड़ा, गधे को दूर छोड़ दिया। हालांकि, घोड़ा थक गया और आराम करने के लिए रुक गया, जबकि गधा एक स्थिर गति से चलता रहा और आखिरकार दौड़ जीत गया। मोरल है: स्थिरता अक्सर विजय की ओर ले जाती है।

एक बार की बात है, एक गाँव में एक घोड़ा और एक गधा रहते थे। वे दोनों अच्छे दोस्त थे, लेकिन उनमें एक बार एक वार्ता हुई कि कौन तेज़ दौड़ता है। इस पर दोनों ने तत्परता से स्वीकार किया और तय किया कि कल सुबह सब लोग उनकी दौड़ को देखेंगे।

सुबह हुई और सभी लोग दौड़ देखने के लिए तैयार थे। घोड़ा और गधा दौड़ने के लिए लाइन में खड़े हो गए। एक आवाज़ हुई, “तैयार… स्टेडी… शुरू!”

घोड़ा और गधा दौड़ने लगे। घोड़ा तेज़ी से दौड़ता हुआ आगे निकल गया। लगभग हर किसी ने सोचा कि घोड़ा ही जीतेगा। दूर के गाँवों तक भी घोड़े की गति का प्रभाव था। गधे ने भी अपनी ताकत से दौड़ना शुरू किया, लेकिन वह घोड़े की गति से पीछे रह गया।

धीरे-धीरे, घोड़े की सांसें बढ़ने लगीं। वह अचानक थक गया और रुक गया। वहाँ बैठकर उसने सोचा, “मैंने बहुत ही तेज़ी से दौड़ी, अब मुझे आराम करना चाहिए।”

गधा, जो धीरे-धीरे दौड़ रहा था, अब भी दौड़ता रहा। लोग आश्चर्य और खुशी से उसकी ओर देख रहे थे। उसने धीरे-धीरे फायर को निगल लिया और अंत में वह दौड़ जीत गया।

उसकी जीत ने सभी को हैरान कर दिया। लोगों ने घोड़े से सीखा कि कभी-कभी तेज़ी से अग्रणी होने पर भी स्थिरता का महत्व होता है। गधे ने समय समय पर धीरे-धीरे चलकर अपना लक्ष्य हासिल किया।

42. मकड़ी  और जाल

एक छोटी सी मकड़ी अपना जाल बुनती रहती थी। वह धैर्य से उसे बुनती और बार-बार उसे मरम्मत करती। कभी-कभी उसका जाल किसी पारिश्रमिक जानवर की चलाकी से नष्ट हो जाता, लेकिन वह हार नहीं मानती थी।

हर बार, जब भी उसका जाल टूटता, वह नया जाल बुनने के लिए उत्साहित होती। धीरे-धीरे, उसकी लगन और मेहनत उसे सफलता की ओर ले जाती थी।

एक दिन, उसकी लगन और मेहनत का फल मिला। उसके जाल में एक सूझी हुई मक्खी फंस गई। मकड़ी की मेहनत और धैर्य ने उसे उसका निश्चित लाभ दिलाया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि धैर्य और मेहनत से कोई भी चीज संभव है। जीवन में चुनौतियों का सामना करते समय हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि हमें उनका सामना करना चाहिए और निरंतर प्रयास करना चाहिए।

43. लोमड़ी और खट्टे अंगूर

एक भूखा लोमड़ी ने एक दिन एक परवे के ऊपर लटके हुए पके हुए अंगूरों को देखा। वह अंगूरों को पाने के लिए परवे की ओर उछलने की कोशिश करने लगा, परंतु उसकी उंगलियाँ उस परवे तक पहुँचने में असमर्थ थीं।

लोमड़ी का दिल बहुत उदास हो गया। उसने सोचा, “ये अंगूर मेरे लिए नहीं हैं। इनकी स्वाद में अवश्य कुछ खराबी होगी।”

फिर वह अंगूरों को देखता रहा, पर उसने अपने आप को सामंजस्य के लिए समझाया कि अंगूर खराब हैं।

इसी बीच, एक गिद्ध उस परवे पर आ गया और आसानी से उन अंगूरों को खा गया।

लोमड़ी ने अंगूरों को देखा और कहा, “वाह! ये अंगूर वास्तव में बहुत ही खास होंगे। मैंने गलती से उन्हें नकारा था। पर अब देर हो गई।”

इस कहानी का मोरल है: हमें वही चीजें बड़ी अच्छी लगती हैं जो हमारे पास नहीं होतीं। अक्सर हम उन चीजों को नकार देते हैं जो हमें मिल नहीं सकती, इससे हमें अपनी असफलता के दुःख को कम करने की आदत हो जाती है।

44. हिरण और शिकारी

एक दिन, जंगल में एक हिरण शिकारी के तीर की छलांग से बच गया। वह बहुत ही अचानक और अनजाने में अपनी आँखों की तेजी के कारण छलांग का सामना करने से बच गया। उसने स्वयं को धन्य माना क्योंकि उसने जीवन को बचा लिया।

हिरण को शिकारी के तीर से बच जाने के लिए बहुत ही खुशी हुई, लेकिन उसने इससे एक महत्वपूर्ण सीख ली। वह जान गया कि जब भी खतरे का सामना हो, तो सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। अब हिरण ने सोचा कि वह हमेशा सतर्क और सावधान रहेगा।

इस कहानी का सारांश है कि कभी-कभी हमें किसी आशंकाजनक स्थिति से बच जाने का अनुभव होता है और उससे हमें कुछ सीखने का मौका मिलता है। यह हमें यह सिखाता है कि हमें अपने कार्यों में सतर्क और सावधान रहना चाहिए, क्योंकि जीवन के कई महत्वपूर्ण संदेश हमें अपने अनुभवों से मिलते हैं।

45. खरगोश की खोज 

एक खरगोश ने खुद के लिए सुरक्षा के लिए मजबूत गड्ढा बनाया। जब एक तूफान आया, तो गड़बड़ी की बरसात से गड्ढा आराम और सुरक्षा प्रदान करता रहा। मॉरल यह है: तैयारी और मेहनत सुरक्षा की दिशा में ले जाती है।

खरगोश जंगल में रहता था, जो कभी-कभार जब हरी-भरी वनस्पतियों से भर जाता था, तो कभी-कभार वह बड़े-बड़े जानवरों के डर से गुजरता था। एक दिन, उसने समझा कि उसे अपनी सुरक्षा के लिए कुछ करना होगा।

उसने खुद को एक मजबूत गड़बड़ बनाने का फैसला किया। वह एक साथ मिट्टी और पेड़ों के नीचे उसे गहराई में खोदने लगा। खरगोश ने सावधानी से हर कदम उठाया, हर हिस्सा मजबूती से बनाया, और अपने गड़बड़ को सुरक्षित और सुरक्षित बनाने के लिए प्रतिबद्ध रहा।

एक दिन, जब बड़ी हीचक लेकर तूफान आया। हवा तेज हो गई, बादल अधिक गहरे हो गए, और बारिश शुरू हो गई। खरगोश ने अपने गड़बड़ की ओर देखा और उसमें चला गया। वहाँ, गड़बड़ उसे सुरक्षितता की भरपूर छाया और सुरक्षा प्रदान कर रहा था। तूफान उसके ऊपर से गुजरा, लेकिन खरगोश सुरक्षित था।

इस कहानी का संदेश स्पष्ट है: तैयारी और मेहनत सुरक्षा की दिशा में ले जाती है। जिस तरह से खरगोश ने अपने गड़बड़ की निर्माण और उसकी देखभाल की, हमें भी अपनी जिंदगी में सावधानी से तैयारी करनी चाहिए, ताकि हम किसी भी मुश्किल स्थिति में सुरक्षित और सुरक्षित रह सकें।

46. एक बाज और एक मोर की कहानी

एक बाज जंगल में उड़ता था। वह अपने तेज पंजों और तेज नजरों से अपना शिकार पकड़ता था। उसकी दृष्टि में केवल खाने की भूख ही थी, और वह अन्य प्राणियों के लिए केवल एक शिकार बना।

जंगल में एक सुन्दर मोर भी था। वह नर्म आवाज़, खूबसूरत पंख, और प्यारी सी चाल वाला था। उसकी आदत थी कि वह अपनी सुंदरता को सभी के साथ साझा करता था। मोर की शिकार करने की कोई आदत नहीं थी, बल्कि वह फूलों के बीच घूमता और समय बिताता था।

एक दिन, बाज ने मोर को अपने शिकार के लिए ध्यान में देखा। उसने सोचा, “यह कैसा सुंदर पक्षी है, जिसकी कोई भी दृष्टि नहीं है। इसके पंख कितने सुंदर हैं, और इसकी सुंदर आवाज़ भी।”

बाज ने मोर को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन मोर ने आसानी से उसे छोड़ दिया। बाज के दिल में कुछ अजीब सी भावनाएँ उत्पन्न होने लगीं। उसने समझा कि वह मोर की तरह होना चाहिए, जो सभी के साथ शांति और सौम्यता से जीता है।

बाज ने अपनी आदतों में परिवर्तन किया। वह अब अपने पंजों को संरक्षक के रूप में इस्तेमाल करता था, जो जंगल के अन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए काम करता था।

मोर ने उस दिन बाज के दिल में कुछ अलग ही छू दिया। उसकी सच्ची सौम्यता और करुणा ने बाज का दिल छू लिया। वह समझ गया कि खूबसूरती के साथ-साथ करुणा और सौम्यता की भी महत्वपूर्णता होती है।

इस कहानी का सिखाया गया सीख है कि दया और समझदारी की शक्ति अद्भुत होती है। यह साबित करता है कि हर किसी के दिल में अच्छाई के लिए जगह होती है, और दया की शक्ति सभी को बदल सकती है। बस इसे अपनाने की जरूरत होती है।

47. हाथी और नदी पार करने की कहानी

एक बुद्धिमान हाथी एक खतरनाक नदी को पार करने के लिए अन्य जानवरों को अपनी बुद्धिमत्ता और शक्ति के साथ मार्गदर्शन करते हुए ले गया। सहयोग और टीमवर्क के माध्यम से, उन्होंने सुरक्षित रूप से दूसरी ओर पहुंच गए। इसका सिखने का संदेश है: नेतृत्व में दूसरों को बुद्धिमत्ता और दया के साथ मार्गदर्शन करने की शामिल होती है।

एक बार की बात है, जंगल के एक कोने में, एक नदी बह रही थी। इस नदी को पार करना सभी जानवरों के लिए खतरनाक था क्योंकि पानी तेज़ धारा में बह रहा था। इस नदी को पार करने के लिए जंगल के दूसरे ओर पहुंचना बहुत मुश्किल था।

एक दिन, सभी जानवर मिलकर तैयार हो गए और नदी को पार करने का निर्णय किया। हाथी, जो बुद्धिमान और अनुभवी था, उनके नेतृत्व में आगे बढ़ा।

हाथी ने सभी को संगठित करने के लिए कहा, “दोस्तों, यह नदी हमारे लिए खतरनाक है। हमें सबको साथ मिलकर इसको पार करना होगा।”

फिर हाथी ने अपनी बुद्धिमत्ता और शक्ति का उपयोग करके एक समय में एक-एक करके हर जानवर को नदी के पार ले जाया। वह उन्हें सहारा भी देता रहा और स्थिरता से पार करवाया।

इस तरह, बुद्धिमान हाथी और उसके नेतृत्व में सभी जानवरों की सहायता से सभी नदी को सुरक्षित रूप से पार कर लिया। उनका सामूहिक प्रयास और टीमवर्क ने इस कठिनाई को सहज बना दिया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि नेतृत्व वह है जो हमें बुद्धिमत्ता और दया के साथ मार्गदर्शन करके सही राह दिखाता है। एक सफल नेता हर समय अपने साथियों की देखभाल करता है और साथ में मिलकर हर मुश्किल को पार करता है।

48. चालाक गिलहरी और अखरोट

एक चालाक गिलहरी ने सर्दियों के लिए अखरोट इकट्ठा किया था लेकिन भूल गई कि वह उन्हें कहाँ छुपा दिया था। इसके बजाय, गिलहरी ने बहुत मेहनत करके खोज की और आखिरकार अपनी छुपी धनराशि को ढूंढ निकाली। मोरल है: अध्ययन सफलता की कुंजी है।

गिलहरी एक छोटी सी, प्यारी और चालाक जानवर थी। उसका घर एक बड़े पेड़ के नीचे था। उसने सर्दियों की तैयारी करने का फैसला किया और खाने के लिए अखरोट इकट्ठा करने का सोचा। गिलहरी ने बहुत सारे अखरोट इकट्ठा किए और उन्हें एक-एक करके एक किसी स्थान पर छुपा दिया।

सर्दियों के मौसम का आगमन हुआ और गिलहरी ने अपनी छुपी हुई धनराशि के बारे में भूल गई। शुरूआत में, वह बहुत परेशान थी, लेकिन फिर भी उसने उम्मीद नहीं खोई।

गिलहरी ने सोचा, “मैंने इतनी मेहनत की है, मुझे अपनी मेहनत का फल जरूर मिलेगा।”

फिर गिलहरी ने खोजना शुरू किया। वह अपने पूरे आस-पास के क्षेत्र को देखने लगी। उसने अलग-अलग स्थानों पर जाकर अखरोट ढूंढना शुरू किया, परंतु उसको कोई सफलता नहीं मिली।

फिर एक दिन, गिलहरी ने एक पुराने पेड़ के नीचे अपने छुपे हुए अखरोट के बारे में सोचा। वह वहाँ गई और देखा कि वहाँ ही उसने अपने अखरोट छिपा रखा था।

गिलहरी ने महसूस किया कि उसने जितनी मेहनत की है, वह उतना ही परिणाम प्राप्त किया है। उसकी मेहनत और लगन ने उसे सफलता की ओर ले जाया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें किसी भी स्थिति में हार नहीं माननी चाहिए। जीवन में समस्याओं का सामना करने के लिए हमें सतत प्रयास करना चाहिए। धैर्य और मेहनत से ही हम सफलता की ऊँचाइयों को छू सकते हैं।

49. यात्रारत कछुआ

एक कछुए ने अपनी कोंच से परे दुनिया के खोजने का सफर आरंभ किया। रास्ते में, उसने चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उसने संघर्ष किया, मूल्यवान सबक सीखा और नई अनुभव प्राप्त किया। इस कहानी का मोरल है: अपने संतुलन क्षेत्र से बाहर निकलना व्यक्तिगत विकास की ओर ले जाता है।

कछुए की कोंच में समय बिताना एक आम बात है। वह अपनी सुरक्षित जगह में रहता है और किसी भी खतरे से बचने का आनंद लेता है। लेकिन एक दिन, उसने अपनी सीमाओं को चुनौती देने का निर्णय किया और नए सफर की ओर अपना कदम रखा।

पहले-पहल उसका दिल डर और अनिश्चितता से भरा था। जब उसने अपने आसपास के परिवेश को छोड़कर दुनिया के अन्य हिस्सों को अन्वेषित किया, तो उसने अनेक सारे चुनौतियों का सामना किया। उसने धीरे-धीरे अपने डर को मारा और सीखा कि कैसे उसे पार किया जाए।

उसका पहला चरण बड़ा ही कठिन था। लेकिन वह निरंतर आगे बढ़ता रहा। जैसे-जैसे उसने नए स्थानों को अन्वेषित किया, उसका आत्मविश्वास बढ़ता गया। वह नई मित्रता को खोजते हुए नई जानकारियाँ और अनुभव प्राप्त करता गया।

इस सफर में, कछुए ने सीखा कि अपने संतुलन क्षेत्र से बाहर निकलना वास्तव में उसके विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उसने अपने डरों का सामना किया, सीमाओं को तोड़ा और नये अनुभवों से आत्मा को संतुष्ट किया। यह उसके जीवन में नई उचाईयों को छूने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें कभी-कभी अपनी आराम की ज़ोन से बाहर निकलना चाहिए। जब हम अपने डरों का सामना करते हैं और नई साहसिकता के साथ आगे बढ़ते हैं, तो हम वास्तव में व्यक्तिगत और आत्मिक विकास में सफल होते हैं।

50. बुद्धिमान बंदर और फल की टोकरी

एक समझदार बंदर था जो जंगल में रहता था। वह जंगल का सबसे बड़ा फल का पेड़ में रहता था और हमेशा उसके पास बहुत सारे फल रहते थे। लेकिन बंदर ने कभी अपना अकेला मेवा नहीं खाया। वह हमेशा अपने दोस्तों के साथ अपना खाना बाँटता था।

एक दिन, जंगल में बड़ी तबाही हो गई। बरसात के कारण पेड़ झुक गए और जंगल के अन्य जानवर अपने घर खो दिए। वे सभी बंदर के पास आए और उससे मदद मांगने लगे।

बंदर ने उनकी मदद की और उन्हें अपने पेड़ के नीचे आने की अनुमति दी। वह अपने दोस्तों को फल खिलाने लगा और सभी को अपनी शान्ति और समृद्धि के साथ जीने का मार्ग दिखाया।

बंदर ने सिखाया कि सहयोग और दान करना कितना महत्वपूर्ण होता है। फलों के साझा करने से हम समृद्धि महसूस करते हैं और हमारे बीच के रिश्ते मजबूत होते हैं।

इस कहानी का सार है कि सहयोग और दान करना हमें खुशी और समृद्धि लाता है और हमारे रिश्ते को मजबूत बनाता है।

निष्कर्ष

इन 300+ Short Stories In Hindi with Moral for Kids कहानियों के माध्यम से हमने बच्चों को नैतिक मूल्यों की महत्वपूर्णता को समझाने का प्रयास किया है। हर कहानी के अंत में एक महत्वपूर्ण संदेश है जो बच्चों को सही और गलत के बीच अंतर को समझाता है।

ये कहानियाँ उन्हें सिखाती हैं कि ईमानदारी, सहानुभूति, मेहनत, साझेदारी, और उदारता जैसे मूल्यों का महत्व क्या होता है। इसके अलावा, ये कहानियाँ उन्हें यह भी सिखाती हैं कि जीवन में कठिनाइयों का सामना कैसे किया जाए और सही राह कैसे चुनी जाए।

इस प्रकार, इन 300 लघु कहानियों के माध्यम से बच्चों को नैतिक मूल्यों की समझ और उनके जीवन में उन्हें अपनाने की प्रेरणा मिलती है।

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