व्यतिरेक का अर्थ होता है आधिक्य, व्यतिरेक अलंकार में उपमेय की समानता उपमान से अधिक बतायी जाती है, व्यतिरेक अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है। इस लेख में हम व्यतिरेक अलंकार की परिभाषा तथा उदाहरण के बारे में पढ़ने वाले हैं। व्यतिरेक अलंकार की समस्त जानकारी आपको इस लेख में मिल जाएगी।
व्यतिरेक अलंकार की परिभाषा
जिस अलंकार में किसी कारण को बताते हुए उपमेय में अधिक गुण होने के कारण उपमेय को उपमान से अधिक श्रेष्ठ बताया जाता है, वहाँ पर व्यतिरेक अलंकार होता है। व्यतिरेक का सामान्य अर्थ होता है आधिक्य। इस अलंकार में किसी कारण का होना आवश्यक होता है।
व्यतिरेक अलंकार उदाहरण
का सरवरि तेहिं देउं मयंकू।
चांद कलंकी वह निकलंकू।।
उपरोक्त दिए गये इस वाक्य में नायिका के मुख की तुलना चंद्रमा से नही की जा सकती है क्योंकि चंद्रमा में दाग है तथा नायिका का मुख बेदाग व निष्कलंक है इसलिए यहा पर उपमेय को उपमान से अधिक श्रेष्ठ माना गया है अतः यहाँ पर व्यतिरेक अलंकार होगा।
इस लेख में हमने आपको व्यतिरेक अलंकार के बारे में उदाहरण सहित समस्त जानकारी दी है यदि आपको इस लेख में दी गई जानकारी पसन्द आयी हो तो इसे आगे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।