आज के इस आर्टिकल में हम बात करने वाले है हिंदी व्याकरण में उपस्थित स्वर संधि के महत्वपूर्ण भेद वृद्धि स्वर संधि के बारे में। इस लेख में आपको वृद्धि स्वर संधि के बारे में समस्त जानकारी मिल जाएगी।
वृद्धि स्वर संधि की परिभाषा
जब भी किसी वाक्य में अ, आ के पश्चात ए,ऐ का प्रयोग हो तो संधि करने के बाद अ, आ ‘ऐ’ में परिवर्तित हो जाते हैं, और अ, आ के साथ यदि ओ,औ का प्रयोग होता है तो यह संधि के बाद ‘औ’ में परिवर्तित हो जाते हैं। शब्दो के इन परिवर्तनों को वृद्धि स्वर संधि कहते हैं।
जैसे –
- अ + ए = ऐ
- आ + ए = ऐ
- अ + ओ = औ
- आ + औ = औ
वृद्धि स्वर संधि के उदाहरण
- तत + एव = ततैव
- जल + ओघ = जलौघ
- सदा + एव = सदैव
- महा + औषध = महौषद
- महा+औदार्य = महौदार्य
- महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
- परम+औदार्य = परमौदार्य
- महा + ओजस्वी = महौजस्वी
- मत + ऐक्य = मतैक्य
- परम + औषध = परमौषध
- महा + औषध = महौषध
- तत + एव = ततैव
- परम + औषध = परमौषध
- मत + एक्य = मतैक्य
- महा + औषध = महौषद
- महा + औषधि = महौषधि
- एक + एक = एकैक
- वन + ओषधि = वनौषधि
- जल + ओघ = जलौघ
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